● राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र अब दिल्ली पहुँच चुके थे।
● अपने प्रदेश के शीर्ष नेताओं के झगड़े का परिणाम से नरेंद्र को गुजरात से जाना पड़ा।
● नरेन्द्र दिल्ली तो पहुँच चुके थे पर गुजरात से दूर ज्यादा दिन कैसे रहते।
● वही गुजरात जहाँ मोदी ने चाय के व्यापार से अपने प्रारंभिक समय को निकाला।
● वही गुजरात जहाँ मोदी ने पहले संघ और फिर बीजेपी के संगठन मंत्री का काम देखा था।
● हम जानेंगे कि कैसे नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में समय बिताया और कैसे पहले दिल्ली से गुजरात और फिर गुजरात से दिल्ली तक का रास्ता कर देश के 15 वे प्रधानमंत्री बने?
1.) सीएम नरेंद्र मोदी की बनने की कहानी-:
● गुजरात में वर्ष 2001 में भुज में भूकंप आया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सरकार को विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
● संगठन में केशुभाई के प्रति विरोध बढ़ रहा था और दूसरी तरफ भुज के पुनः उत्थान का कार्य भी ठीक ढंग से नही हो रहा था।
● एक दिन नरेंद्र जब किसी पत्रकार के मृत्यु होने से उसके परिवार से मिलने गए थे तो अटल जी का उनके पास संदेश आया कि जरूरी काम है तुमसे मुलाकात करने चाहता हूँ।
● अटल जी के सन्देश पर नरेंद्र उनसे मिलने पहुँचे और अटल जी ने कहा कि "दिल्ली में पंजाबी खाना खाकर बहुत मोटे हो गए अब वापस गुजरात चले जाओ।"
● नरेन्द्र समझ गए की उनके बापजी का इशारा क्या है??
● नरेंद्र की जीवनी लिखने वाले कामद ने लिखा है कि जब अटल जी ने गुजरात जाने को कहा तो नरेंद्र बोले में सत्ता नही चाहता संगठन में काम करना चाहता हूँ।
● लेकिन कुछ दूसरे सूत्र ये भी कहते है कि नरेंद्र चुपचाप अपना कार्य करते रहे और गुजरात का रास्ता बना दिया।
● शंकर सिंह बाघेला ने नरेंद्र के गुजरात आने का विरोध किया पर अब नरेन्द्र संगठन मंत्री नही थे,अब नरेंद्र गुजरात के नए मुख्यमंत्री बनकर जा रहे थे, पहले से मजबूत बनकर नरेंद्र अब गुजरात वापसी कर रहे थे।
● वर्ष 2001 में पहली बार नरेंद्र मोदी गुजरात के 14 वे मुख्यमंत्री बने।
(फोटो सोर्स-: विकिपीडिया)
2.) वर्ष 2002 गुजरात का गोदरा काण्ड-:
● नरेन्द्र वर्ष 2001 में सीएम बने और फरवरी 2002 में जब साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से वापस लौट रही थी।
● इसकी एक बोगी में कारसेवक सवार थे बोगी को गुजरात के गोदरा में आग लगा दी गई।
● इस बोगी में बैठे 50 से ज्यादा कारसेवक मारे गए।
● ऐसे में गुजरात में दंगे भड़क गए और गुजरात जल उठा था।
● दंगो की खबरें न केवल भारत में अपितु विश्व भर में फ़ैली थी। तब अमेरिका ने नरेंद्र को वीजा तक देने से मना कर दिया था।
● आधिकारिक रिपोर्ट में 1044 लोगो के मारे जाने का आंकड़ा था और यदि सूत्रों की माने तो ये आंकड़ा 2000 से 2500 तक का था।
● दंगो का दाग सीएम मोदी तक के ऊपर भी लगा उनके राजनैतिक विरोधियो ने राष्ट्रीय मीडिया के सामने सीएम मोदी को दंगो का जिम्मेदार बताया।
● देश की अदालतों में मोदी के खिलाफ केस चले लेकिन किसी भी अदालत ने नरेंद्र को दोषी नही माना।
● ये वक़्त वो था जब मोदी चुपचाप गुजरात विकास में लग रहे। उन्होंने कभी किसी पर कोई पलटवार नही किया जब भी मीडिया उन्हे दंगो का प्रश्न करती नरेंद्र जवाब देते।
● गोदरा काण्ड का प्रश्न नरेन्द्र को कई वर्षों तक सामना करना पड़ा। यहाँ तक की जब वो 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनकर प्रचार में लगे तब भी मीडिया उन्हे इसी प्रश्न पर घेर लेती थी।
● नरेंद्र कर्म पर विश्वास करते थे वे सदैव चलते गए और अपना कार्य करते गए।
● गोदरा काण्ड के बाद जब मोदी 2003 में गुजरात से सटे राजस्थान के उदयपुर जिले में वसुंधरा राजे का प्रचार करने आए तब जैसे ही मंच पर वो बोलने आएं और उदयपुर की जनता ने नारे लगाना चालू कर दिया " देखो देखो कोन आया गुजरात का शेर आया"।
● उदयपुर में उठी उस गूंज से सियासी पंडित समझ गए की अगले हिन्दू आइकॉन मोदी ही होंगे।
● नरेंद्र की बढ़ती लोकप्रियता को गुजरात की जनता ने भी देखा और नरेंद्र गुजरात की आँखों के तारे बन गए।
3.) गोदरा काण्ड के बाद अटल जी का गुजरात दौरा-:
● 4 अप्रैल 2002 गुजरात में दंगे खत्म होने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी गुजरात दौरे पर पहुँचे।
● अटल जी गुजरात में हुए दंगो से बहुत आहत थे। गुजरात दौरे के दौरान वे एक दंगा राहत शिविर में गए। जहाँ दंगा पीड़ित लोगो से मिले।
● जब शिविर से निकले तो एक प्रेस वार्ता में अटल जी ने बयान दिया "विदेशों में हिंदुस्तान की बहुत इज़्ज़त है, उनमें मुस्लिम देश भी शामिल है।
मगर जाने से पहले सोच रहा हूँ कि अब कोनसा चेहरा, क्या मुँह जाऊँगा??"
● उसी दिन शामको वो एक बार पुनः अहमदाबाद में प्रेस वार्ता में पत्रकारों के सामने आएं इस बार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके साथ थे।
● तब एक पत्रकार ने उनसे कहा कि "गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए आपका क्या सन्देश है??"
● अटल जी ने कहा "सीएम के लिए मेरा एक ही सन्देश की वो राज धर्म का पालन । राज धर्म यह शब्द काफी सार्थक है। मैं उसी का पालन कर रहा हूँ। राजा के लिए, शासक के लिए, प्रजा-प्रजा के लिए भेद नही हो सकता, न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर, न सम्प्रदाय के आधार पर।
● अटल जी की बात पूरी नही हुई और उसी बीच नरेन्द्र बीच में ही बोल पड़े और कहा "हम भी तो यही कर रहे है साहब।"
● अटल जी ने कुछ देर चुप्पी साधी और अपनी बात खत्म करते हुए बोले कि मुझे पूरा भरोसा है कि नरेन्द्र भाई भी यही कर रहे है।
● उन दिनों दंगो को लेकर नरेंद्र के लिए राष्ट्रीय मीडिया की खबरों ने अटल जी को भी प्रभावित किया हो।
● नरेंद्र भी मीडिया में चली रिपोर्ट से आहत हो कर अटल जी के बयान के बीच में ही बोल पड़े हो।
● लेकिन नरेन्द्र सदैव अटल जी को अपना आदर्श मानते थे इसका परिणाम पुरे देश ने तब देखा जब नरेन्द्र प्रधानमंत्री बने तब 2015 में अटल जी को भारत रत्न से सम्मानित करवाया।
● अटल जी की नरेंद्र के प्रति नाराजगी-:
● अटल जी केंद्र में 20 दलों के गठबंधन की सरकार चला रहे थे उन पर निरन्तर दबाव बनाया जा रहा था कि गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाया जाएं।
● केंद्र सरकार के मंत्री रामविलास पासवान जो LJP के अध्यक्ष भी थे बिहार से आते थे उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था।
● आपको बता दे कि ये वही पासवान है जो पिछले 6 सालों से नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री है। राजनीती में अनिश्चिताए भरी पड़ी है।
● अटल जी तब सिंगापूर के दौरे पर निकले थे और तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी को कहकर गए थे कि जब में वापस लौटकर आओ तो गुजरात का मुख्यमंत्री बदल जाना चाहिए।
● अटल जी वापस आएं और गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय बैठक के लिए प्लेन में रवाना हुए।
● प्लेन में 4 लोग थे अटल जी, जसवंत सिंह, आडवाणी जी और अरुण शौर्य।
● अटल जी और आडवाणी एक दूसरे से बात नही करते और अख़बार पढ़ने लग गए तभी अरुण शौर्य ने दोनों से अख़बार लेकर कहा आप कब तक एक दूसरे से बात नही करेगे।
● अटल जी ने पहले तो कहा कि वेंकैया नायडू को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएं और अपने अंदाज में बोले कि मोदी को जाना होगा।
● लेकिन नरेंद्र सदैव चुन्नोतियो को तैयार रहते है तब भी उन्होंने अपनी सूझबूझ से काम लिया।
● राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में नरेंद्र मोदी मंच पर आए। अटल-आडवाणी मंच पर बैठे थे।
● मोदी ने अपने शैली में भाषण दिया अपनी सरकार के काम बताएं और गुजरात मॉडल की चर्चा की।
● आखरी में मोदी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की अटल को लगा की उनका काम होगया है।
● लेकिन कहानी में अभी मोड बाकि था मंच से जब मोदी ने इस्तीफा पेश किया तो नारे लगने लगे "बीजेपी जिन्दाबाद" "नरेन्द्र मोदी ज़िंदाबाद"
"इस्तीफा मत दो"
● नरेंद्र सदैव अपना रास्ता बनाना जानते थे मोदी के भाषण के बाद एक मीटिंग हुई और मंच पर आएं मोदी के सबसे अच्छे मित्र अरुण जेटली।
● जेटली ने कहा अब नरेंद्र भाई से इस्तीफा नही लिया जाएगा और पांडाल में नारे लगने लगे।
● ये पहली ही बार था जब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मोदी का शक्ति प्रदर्शन देखा था।
● इस्तीफा नही लेना संघ का आदेश था।
● उस दिन शाम को हुई प्रेस वार्ता में अटल जी ने बयान दिया " गुजरात में क्या हुआ? अगर साबरमती रेलगाड़ी के निर्दोष,निरपराध यात्रियों को जिंदा जलाने का षड्यंत्र न रचा जाता तो गुजरात में हुई त्रासदी को रोका जा सकता था।"
(फोटो सोर्स-: विकिपीडिया)
5.) गुजरात चुनावो में मोदी लहर-:
● मोदी समझ गए थे की गुजरात चुनावो में अब उनकी जीत तय है।
● मोदी ने 6 माह पूर्व ही विधानसभा भंग करने को कहा।
● एक बार चुनाव आयुक्त ने मना कर दिया पर दूसरी बार वे मान गए।
● गुजरात चुनाव में मोदी ने पुनः अपना पुराना ब्रह्मास्त्र निकाला और गुजरात गौरव रथ यात्रा का प्रारंभ की।
● यात्रा गुजरात की 150 विधानसभा सीटों से होकर गुजरी।
● परिणाम आएं भाजपा को 182 में से 127 सीट मिली मोदी गुजरात के शीर्ष नेता बने।
● मोदी ने इसके बाद 2007 में और 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
● नरेन्द्र मोदी जिस कार्य को हाथ में ले वो सोना बन जाता है ऐसा उनके करीबी कहा करते है।
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6.) सीएम से पीएम-:
● वर्ष 2012 में जब मोदी के सीएम बने तो गुजरात के अहमदाबाद में जीत के बाद धन्यावद भाषण दिया।
● राष्ट्रीय मीडिया हैरान थी कि जो मोदी हमेशा से गुजराती में भाषण देते है आज हिंदी में भाषण दे रहे थे।
● मोदी ने मंच से कहा था कि सोच रहा हूँ अब दिल्ली हो आओ और जब जनता ने ये बात सुनी तो खूब नारे लगने लगे।
● वर्ष 2013 में एक बार पुनः राष्ट्रीय कार्यकरणी की बैठक गोवा में हो रही थी।
● इस बार पार्टी के दिग्गज नेता आडवाणी दिल्ली में नाराज़ बैठे थे और इस मीटिंग का हिस्सा नही थे।
● तब के पार्टी अध्यक्ष ने बयान दिया की आडवाणी जी की तबियत खराब है और वे मीटिंग में नही आ सकते है और हम उन्हे बाध्य भी नही करना चाहते।
● मोदी को बैठक में प्रधानमंत्री उम्मीदवार चुना गया और फिर एक वर्ष कड़ी मेहनत के बाद 150 से ज्यादा रैलियां करने के बाद मोदी 2014 में देश के 15 वे प्रधानमंत्री बने।
● श्री नरेंद्र मोदी 2014 में और 2019 में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के प्रधानमंत्री बने।
Interesting
ReplyDeleteThe Roulette wheel as invented 카지노사이트 by Pascal remained the same for hundreds of years}. That all changed in 1842, when Francois and Lois Blanc designed a Roulette wheel with a single zero on it, specifically for King Charles III of Monaco. This was an enormous deal as a result of|as a outcome of} including a zero gave the home a bigger bigger|an even bigger} house edge. If the ball lands on zero or 00, all even-money bets — in reality, all outside bets — lose. Roulette seems like an easy recreation to try as a result of|as a outcome of} it relies solely on probability. But the real skill is available in} knowing means to|tips on how to} guess earlier than the wheel stops.
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